मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा संचालित इस संग्रहालय का लोकार्पण दिनांक 06 जून 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा किया गया | इसमें मध्यप्रदेश में निवासरत जनजातीय समूहों की कला,संस्कृति,परंपरा एवं जीवन शैली का चित्रण है| क्योंकि जनजातियां प्रदेश के सुदूर अंचलों में निवास करती हैं अतः उनकी संस्कृति को जानने के लिए जन सामान्य का वहां जाना कठिन होता है इस कठिनाई को दूर कर मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस संग्रहालय के माध्यम से प्रदेश में निवासरत सभी जनजातियों की संस्कृति की झलक एक स्थान पर ही उपलब्ध करवा कर उन्हें जानने व समझने का सुगम अवसर उपलब्ध कराया है| प्रयास फाउंडेशन द्वारा रूपांतरण परिसर के विद्यार्थियों को यहां लाकर सभी जनजातियों की संस्कृति से परिचित कराया गया |
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Home of India’s third and Madhya Pradesh’s largest Bhil tribe that resides in the western region in Madhya Pradesh.
A view of Baba Dev, the main deity of the village of Bhil tribe living in Jhabua-Alirajpur district, in which terracotta animal figurines have been offered as thanksgiving for many years.
The main goddess of Bastar is Mavali Mata Gudi.
House of Panika tribe living in Shahdol, Anooppur and Umaria. Their economy is dependent on textile weaving.
Ghotul or Dindamahal (unmarried house) of the Mudia tribe living on the border of Madhya Pradesh and Chhattisgarh, in which young men and women live together for some time before marriage to understand each other.
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